ZORBA THE GREEK

Language:

Review of Zorba the Greek

ज़ॉर्बा द ग्रीक: जीवन का अद्वितीय उत्सव

ग्रीक साहित्यकार निकोस कज़ांटज़ाकिस का उपन्यास ज़ॉर्बा द ग्रीक पहली बार 1946 में प्रकाशित हुआ और आज तक यह आधुनिक विश्व साहित्य की महानतम कृतियों में गिना जाता है। यह रचना केवल कथा का विस्तार नहीं है, बल्कि मनुष्य के अस्तित्व, उसकी स्वतंत्रता और जीवन जीने की कला पर गहन दार्शनिक चिंतन प्रस्तुत करती है।

उपन्यास में दो चरित्रों का विरोधाभास केंद्र में है। एक ओर है ‘कथाकार’ चिंतनशील, पुस्तकप्रिय, बौद्धिक और संकोची, जो जीवन को एक प्रयोगशाला की भाँति देखता है। दूसरी ओर है अलेक्सिस ज़ॉर्बा उत्साही, उन्मुक्त, जीवन की प्रत्येक सांस को गले लगाने वाला, जो कहता है कि “सोचना बाद की बात है, पहले जीना जरूरी है।” यह द्वंद्व वास्तव में विचार और कर्म, आत्मनियंत्रण और स्वाभाविकता, बौद्धिकता और सहज जीवनानुभव के बीच संघर्ष का प्रतीक है।

कज़ांटज़ाकिस ने ज़ॉर्बा को एक ऐसे प्रतीक के रूप में गढ़ा है, जो मनुष्य के भीतर छिपी उस ऊर्जा और जोश का प्रतिनिधित्व करता है, जो सामाजिक नियमों और बंधनों के नीचे दबा रहता है। ज़ॉर्बा नाचता है, हँसता है, प्रेम करता है और असफलताओं को भी जीवन का हिस्सा मानकर स्वीकार करता है। उसकी सबसे बड़ी देन यह है कि वह कथाकार को सिखाता है सच्ची त्रासदी मृत्यु नहीं है, बल्कि अधूरे और अनजिए जीवन की पीड़ा है।

लेखन शैली काव्यात्मक और गहन है। ग्रीस का ग्रामीण परिवेश, लोकसंस्कृति, और मनुष्य की आदिम प्रवृत्तियाँ उपन्यास में जीवंत रूप से उभरती हैं। यह पुस्तक पाठक से यह प्रश्न पूछती है: क्या ज्ञान केवल पुस्तकों और तर्क से मिलता है, या जीवन की सच्चाई को समझने के लिए हमें अपने भीतर के ज़ॉर्बा को जगाना चाहिए?

ज़ॉर्बा द ग्रीक एक ऐसा उपन्यास है जो हमें अपनी सीमाओं से बाहर निकलकर जीवन की पूर्णता का स्वाद चखने के लिए आमंत्रित करता है। यह रचना न केवल ग्रीक साहित्य की धरोहर है, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक अनंत प्रेरणा है।

Visited 80 times, 1 visit(s) today

3 responses to “Review of Zorba the Greek”

  1. Ashvin panchal Avatar
    Ashvin panchal

    Very nice great

  2. Sunil Kumar Jojo Avatar
    Sunil Kumar Jojo

    very good inspiring thought. we have lots of energy in us but maximum energy is either not utilised or misused. energy is to do things that benefit mankind. Short review by Kuldeep Sagar is commendable.

    1. Kuldeep Avatar
      Kuldeep

      Dear Jojo,

      You said it very well. Each of us have a lots of energy but in most cases it remains under utilised.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *